लुधियाना की घोड़ा मंडी में ‘सिकंदर’ और ‘नवाब’ पर सबकी नजर, 1.19 करोड़ मिलने पर भी मालिक बेचने काे तैयार नहीं

कहते हैं कि शौक की कोई कीमत नहीं होती है। यह बात जगराओं में घोड़ों की मंडी में उस समय देखने को मिली जब पंजाब के धूरकोट से अपने घोड़े सिकंदर और नवाब के साथ पहुंचे जतिंदर सिंह और उनके पुत्र जगदीप सिंह ने सिकंदर के 74 लाख और नवाब के 45 लाख रुपये मिलने पर भी उन्हें नहीं बेचा। घोड़ों की इतनी बड़ी कीमत मिलने पर भी जब घोड़े नहीं बेचे गए तो हर कोई हैरान था। इस पर जतिंदर सिंह और उनके बेटे जगदीप सिंह ने कहा कि यह उनके लिए सिर्फ घोड़े नहीं बल्कि उनके सपनों के सौदागर हैं।

इनकी अपनी शान और खूबियां हैं। जब वह इनकी खूबियों के बारे में लोगों को बताते हैं तो उनका सीना चौड़ा हो जाता है। जगदीप सिंह ने बताया कि उनका पूरा परिवार घोड़ों का शौकीन है। उन्होंने धूरकोट में बाकायदा स्टड फार्म बनाया हुआ है। उनके पास करीब 15 घोड़े और घोड़ियां हैं। सिकंदर और नवाब उनकी शान हैं। उन्होंने बताया कि सिकंदर को डेढ़ महीना पहले उन्होंने गुजरात से 65 लाख में खरीदा था। सिकंदर का पिता रोहतगड़ के राजघराने का घोड़ा था। इसी तरह नवाब की भी अलग नवाबी शान है। नवाब का पिता ‘नाग’ अब तक के जाने माने घोड़ों में से एक है, जिसकी कीमत ढाई करोड़ रुपये है।

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